गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² पौधा à¤à¤µà¤‚ वैदिक साधन आशà¥à¤°à¤® तपोवन देहरादून के दरà¥à¤¶à¤¨â€™
Author
Manmohan Kumar AryaDate
06-May-2016Category
शंका समाधानLanguage
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UmeshUpload Date
06-May-2016Download PDF
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हमने जà¥à¤²à¤¾à¤ˆ, 1972 में देहरादून के दयाननà¥à¤¦ बà¥à¤°à¤œà¥‡à¤¨à¥à¤¦à¥à¤°à¤¸à¥à¤µà¤°à¥à¤ª कालेज में विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ सà¥à¤¨à¤¾à¤¤à¤• ककà¥à¤·à¤¾ में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ लिया था। यहां शà¥à¤°à¥€ रोहित पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ शà¥à¤•à¥à¤²à¤¾, अमेठी à¤à¤µà¤‚ शà¥à¤°à¥€ महेनà¥à¤¦à¥à¤° सिंह, बिजनौर, उतà¥à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ हमारे वह सहपाठी थे जिनसे हमारी गहरी मितà¥à¤°à¤¤à¤¾ हो गई तथा जो आज à¤à¥€ जारी है। सनॠ1974 में à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• विजà¥à¤žà¤¾à¤¨, रसायन विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ तथा गणित में बी.à¤à¤¸.सी. के बाद हमें मई, 1974 में सिंचाई विà¤à¤¾à¤—, उतà¥à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ में नौकरी मिल गई थी। इसके बाद जनवरी, 1978 में हमें à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ पेटà¥à¤°à¥‹à¤²à¤¿à¤¯à¤® संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨, देहरादून में सरà¥à¤µà¤¿à¤¸ मिल गई थी। इस संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ में हम अपनी सेवा निवृति जà¥à¤²à¤¾à¤ˆ, 2012 तक रहे जहां हमारी अनेक पदोनà¥à¤¨à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ हà¥à¤ˆà¥¤ हमारे यह दोनों मितà¥à¤° शिकà¥à¤·à¤¾ विà¤à¤¾à¤— में शिकà¥à¤·à¤• के रूप में लगे व लगà¤à¤— हमारे साथ ही सेवा निवृत हà¥à¤à¥¤ शà¥à¤°à¥€ रोहित पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ शà¥à¤•à¥à¤²à¤¾ जी अमेठी के गà¥à¤°à¤¾à¤® छतà¥à¤¤à¤°à¤—ढ़ में निवास करते हैं तथा शà¥à¤°à¥€ महेनà¥à¤¦à¥à¤° सिंह देहरादून में पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤¨à¤—र कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में निवास करते हैं। शà¥à¤°à¥€ शà¥à¤•à¥à¤²à¤¾ आजकल देहरादून अपने 80 वरà¥à¤·à¥€à¤¯ बड़े à¤à¤¾à¤ˆ शà¥à¤°à¥€ खादी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ शà¥à¤•à¥à¤²à¤¾ से मिलने आये हà¥à¤ हैं। आज हमनें उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ शà¥à¤°à¥€ महेनà¥à¤¦à¥à¤° सिंह से मिलाने सहित गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² पौंधा और वैदिक साधन आशà¥à¤°à¤®, तपोवन के दरà¥à¤¶à¤¨ कराने का कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤°à¤® बनाया। शà¥à¤°à¥€ शà¥à¤•à¥à¤²à¤¾ व मैं आज पूरà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥à¤¹ शà¥à¤°à¥€ महेनà¥à¤¦à¥à¤° सिंह के घर पहà¥à¤‚चे। आपने कà¥à¤› दिन पूरà¥à¤µ अपनी à¤à¤• आंख का मोतियाबिनà¥à¤¦ का आपरेशन कराया है। तà¤à¥€ से वह असà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ चल रहे हैं। हम दोनों मितà¥à¤° व शà¥à¤°à¥€ महेनà¥à¤¦à¥à¤° सिंह व उनके परिवार के सà¤à¥€ सदसà¥à¤¯à¥‹à¤‚ से मिले। बहà¥à¤¤ लमà¥à¤¬à¥€ अवधि के बाद हमारी परसà¥à¤ªà¤° यह à¤à¥‡à¤‚ट हà¥à¤ˆà¥¤ शà¥à¤°à¥€ महेनà¥à¤¦à¥à¤° जी का मनोबल बढ़ाने की हम दोनों मितà¥à¤°à¥‹à¤‚ ने अनेक बातें की। उनके साथ जलपान किया और उनसे विदाई लेकर गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² पौंधा पहà¥à¤‚चे।
गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² में हमें आचारà¥à¤¯ धनंजय जी सहित आचारà¥à¤¯ शà¥à¤°à¥€ चनà¥à¤¦à¥à¤° à¤à¥‚षण जी मिले। उनसे आगामी 3 से 5 जून, 2016 तक होने वाले 16 हवें वारà¥à¤·à¤¿à¤•à¥‹à¤¤à¥à¤¸à¤µ विषयक वारà¥à¤¤à¤¾à¤²à¤¾à¤ª किया। दà¥à¤—à¥à¤§à¤ªà¤¾à¤¨ किया तथा à¤à¤• बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤šà¤¾à¤°à¥€ हंसराज दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ शà¥à¤°à¥€ शà¥à¤•à¥à¤²à¤¾ जी को पूरे गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² का à¤à¥à¤°à¤®à¤£ कराया गया। गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² से चलकर हम लगà¤à¤— 21 किमी. दूरी पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ वैदिक साधन आशà¥à¤°à¤® पहà¥à¤‚चे। वहां हमें तपोवन आशà¥à¤°à¤® के यशसà¥à¤µà¥€ मंतà¥à¤°à¥€ इं. पà¥à¤°à¥‡à¤® पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ शरà¥à¤®à¤¾ जी मिले। शà¥à¤°à¥€ शरà¥à¤®à¤¾ के मंतà¥à¤°à¤¿à¤¤à¥à¤µ काल में आशà¥à¤°à¤® पà¥à¤°à¤—ति के पथ पर अगà¥à¤°à¤¸à¤° है। आशà¥à¤°à¤® के नà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥€ शà¥à¤°à¥€ महेनà¥à¤¦à¥à¤° पाल सिंह चैहान à¤à¥€ वहां थे। हमने अपने मितà¥à¤° के साथ आशà¥à¤°à¤® की à¤à¤µà¥à¤¯ व विशाल यजà¥à¤žà¤¶à¤¾à¤²à¤¾ में बैठकर चरà¥à¤šà¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ की। वेद à¤à¤µà¤¨ को देखा और फिर वहां चारों ओर बने हà¥à¤ à¤à¤µà¤¨à¥‹à¤‚ व साधकों की सà¤à¥€ कà¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¤¾à¤“ं में जाकर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ देखा और उनके कà¥à¤› चितà¥à¤° लिये। आशà¥à¤°à¤® के मंतà¥à¤°à¥€ जी व अनà¥à¤¯ लोगों ने आगà¥à¤°à¤¹ पूरà¥à¤µà¤• हमें à¤à¥‹à¤œà¤¨ के लिठà¤à¥€ कहा परनà¥à¤¤à¥ इचà¥à¤›à¤¾ न होने के कारण हम à¤à¥‹à¤œà¤¨ न कर सके। तपोवन के नये à¤à¤µà¤¨ में मंतà¥à¤°à¥€ जी के कारà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ में हम लोग बैठे और आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ व आशà¥à¤°à¤® विषयक अनेक चरà¥à¤šà¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ कीं। वैदिक साधन आशà¥à¤°à¤® का गà¥à¤°à¥€à¤·à¥à¤®à¥‹à¤¤à¥à¤¸à¤µ आगामी 11 मई से 15 मई तक आयोजित हो रहा है। यहां सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दीकà¥à¤·à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ दिवस को à¤à¤µà¥à¤¯ रूप से मनाने की तैयारियां की गई हैं। दिलà¥à¤²à¥€ से à¤à¥€ बड़ी संखà¥à¤¯à¤¾ में लोग यहां आ रहे हैं जिसमें केनà¥à¤¦à¥à¤°à¥€à¤¯ आरà¥à¤¯ यà¥à¤µà¤• परिषद के अधिकारीगण यशसà¥à¤µà¥€ शà¥à¤°à¥€ अनिल आरà¥à¤¯ व शà¥à¤°à¥€ महेनà¥à¤¦à¥à¤° à¤à¤¾à¤ˆ आदि समà¥à¤®à¤¿à¤²à¤¿à¤¤ हैं। 15 मई, 2016 को यहां हिमाचल पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ के माननीय राजà¥à¤¯à¤ªà¤¾à¤² महोदय आचारà¥à¤¯ देववà¥à¤°à¤¤ जी आमंतà¥à¤°à¤¿à¤¤ हैं जो इस अवसर पर अपने उदà¥à¤¬à¥‹à¤§à¤¨ सहित आशà¥à¤°à¤® के नवनिरà¥à¤®à¤¿à¤¤ à¤à¤µà¥à¤¯ à¤à¤µà¤‚ विशाल सà¤à¤¾ à¤à¤µà¤¨ का उदà¥à¤˜à¤¾à¤Ÿà¤¨ करेंगे। राजà¥à¤¯à¤ªà¤¾à¤² महोदय की अगवानी आशà¥à¤°à¤® के यशसà¥à¤µà¥€ पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨ शà¥à¤°à¥€ दरà¥à¤¶à¤¨à¤•à¥à¤®à¤¾à¤° अगà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤°à¥€ जी व शà¥à¤°à¥€ पà¥à¤°à¥‡à¤® पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ शरà¥à¤®à¤¾ जी करेंगे। इस अवसर पर शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¥‡à¤¯ शà¥à¤°à¥€ आशीष आरà¥à¤¯, डा. धनंजय आरà¥à¤¯, शà¥à¤°à¥€ वेदपà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ गà¥à¤ªà¥à¤¤à¤¾ व अनेक गणमानà¥à¤¯ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ à¤à¥€ माननीय राजà¥à¤¯à¤ªà¤¾à¤² महोदय के सà¥à¤µà¤¾à¤—त व समà¥à¤®à¤¾à¤¨ में समà¥à¤®à¤¿à¤²à¤¿à¤¤ होंगे। इस विषयक चरà¥à¤šà¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ कर व शरà¥à¤®à¤¾ जी दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¥‡à¤® पूरà¥à¤µà¤• कराये गये जलपान को गà¥à¤°à¤¹à¤£ कर हम लोग आशà¥à¤°à¤® के मà¥à¤–à¥à¤¯ निचले सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ से 4 किमीं दूर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ निकटवरà¥à¤¤à¥€ परà¥à¤µà¤¤ पर साल के वृकà¥à¤·à¥‹à¤‚ के वन के बीच सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ मà¥à¤–à¥à¤¯ तपोà¤à¥‚मि जहां महातà¥à¤®à¤¾ आननà¥à¤¦ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी सहित अनेक योगियों व साधकों ने लमà¥à¤¬à¥€ लमà¥à¤¬à¥€ साधनायें की है, अपने दो पहिया वाहन से पहà¥à¤‚चे। यह à¤à¥€ उलà¥à¤²à¥‡à¤– कर दें कि सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर हम सनॠ1970 से जाते रहें हैं।
परà¥à¤µà¤¤à¥€à¤¯ तपोà¤à¥‚मि पर पहà¥à¤‚चने पर वहां शà¥à¤°à¥€ सà¥à¤°à¥‡à¤¶ मà¥à¤¨à¤¿ वानपà¥à¤°à¤¸à¥à¤¥à¥€ जी से हमारी à¤à¥‡à¤‚ट हà¥à¤ˆà¥¤ वहां हमने उनसे अनेक विषयों पर चरà¥à¤šà¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ की। मारà¥à¤š 2016 में वहां à¤à¤• चतà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ पारायण यजà¥à¤ž किया गया था। इस यजà¥à¤ž की पूरà¥à¤£à¤¾à¤¹à¥à¤¤à¤¿ 21 मारà¥à¤š को समà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤ˆ थी। हम à¤à¥€ इस अवसर पर वहां समà¥à¤®à¤¿à¤²à¤¿à¤¤ थे। उसका समाचार à¤à¥€ हमने यथा समय फेस बà¥à¤• सहित अपने सà¤à¥€ मितà¥à¤°à¥‹à¤‚ को à¤à¥‡à¤œà¤¾ था जो आशà¥à¤°à¤® की पतà¥à¤°à¤¿à¤•à¤¾ पवमान के अपà¥à¤°à¥ˆà¤²-मई, 2016 के संयà¥à¤•à¥à¤¤à¤¾à¤‚क में à¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ हà¥à¤† है। शà¥à¤°à¥€ सà¥à¤°à¥‡à¤¶ मà¥à¤¨à¤¿ जी ने बताया कि यहां समà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ चतà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ पारायण यजà¥à¤ž में पंतजलि योगपीठमें निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ 14 कà¥à¤µà¤¿à¤‚टल गोघृत पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— किया गया था। इस घृत का मूलà¥à¤¯ ही 6 लाख रूपयों से अधिक बैठता है। शà¥à¤¦à¥à¤§ सà¥à¤µà¤¨à¤¿à¤°à¥à¤®à¤¿à¤¤ सामगà¥à¤°à¥€ का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— à¤à¥€ वृहत यजà¥à¤ž में किया गया जिसमें 40 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ घृत मिलाया गया। समिधायें केवल आम व पीपल की पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— में लाईं गईं। परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ विà¤à¤¾à¤— के लोग यजà¥à¤ž के पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¥‹à¤‚ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करने के लिठदो तीन बार अपनी मशीने व उपकरण लेकर यहां उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ हà¥à¤à¥¤ आगामी समय में यहां à¤à¤• à¤à¤µà¥à¤¯ यजà¥à¤žà¤¶à¤¾à¤²à¤¾ के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ की योजना है जो सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ चितà¥à¤¤à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ जी के मारà¥à¤—दरà¥à¤¶à¤¨ में निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ होगी। परà¥à¤µà¤¤à¥€à¤¯ तपोà¤à¥‚मि योगसाधना के लिठà¤à¤• आदरà¥à¤¶ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ है, चारों ओर हरा à¤à¤°à¤¾, बड़े बड़े व ऊंचे ऊंचे साल के वृकà¥à¤·à¥‹à¤‚ से यह आशà¥à¤°à¤® घिरा हà¥à¤† है। अनेक à¤à¤•à¤¡à¤¼ में यह तपोà¤à¥‚मि विसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ है। यहां कà¥à¤› कà¥à¤Ÿà¤¿à¤¯à¤¾à¤‚यें बनी हà¥à¤ˆ हैं। यहां किसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° का कोई कोलाहल नही है। पूरà¥à¤£ शानà¥à¤¤à¤¿ व निसà¥à¤¤à¤¬à¥à¤§à¤¤à¤¾ का वातावरण है। कà¥à¤› वरà¥à¤· पूरà¥à¤µ यहां आधà¥à¤¨à¤¿à¤• सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤“ं से यà¥à¤•à¥à¤¤ à¤à¤• à¤à¤µà¥à¤¯ व विशाल हाल à¤à¥€ निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ किया गया है। वरà¥à¤· में देा बार, आशà¥à¤°à¤® के शरदà¥à¤¤à¥à¤¸à¤µ व गà¥à¤°à¥€à¤·à¥à¤®à¥‹à¤¤à¥à¤¸à¤µ के अवसर पर, यहां विशाल सतà¥à¤¸à¤‚ग होता है। वेद पारायण यजà¥à¤žà¥‹à¤‚ के आयोजन कियें जाते हैं और à¤à¤¸à¥‡ अवसरों पर यहां वृहत यजà¥à¤ž व ऋषि लंगर à¤à¥€ होते रहते हैं। सारा सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ à¤à¤• ऊंची बाउणà¥à¤¡à¥à¤°à¥€ वाल से सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ है। शà¥à¤°à¥€ सà¥à¤°à¥‡à¤¶ मà¥à¤¨à¤¿ जी यहां अनेक वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ से तप व साधना कर रहे हैं। अकेले इस निरà¥à¤œà¤¨ व निसà¥à¤¤à¤¬à¥à¤§ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ में रातà¥à¤°à¤¿ व दिवस में रहते हैं। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने बताया कि वह सपà¥à¤¤à¤¾à¤¹ में à¤à¤• बार अपने à¤à¥‹à¤œà¤¨ संबंधी कà¥à¤› आवशà¥à¤¯à¤• सामगà¥à¤°à¥€ लेने नीचे बाजार जाते हैं व अपना सारा समय यहां अकेले ही वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ करते हैं। उनका à¤à¥€à¤¡à¤¼à¤à¤¾à¤¡à¤¼ से दूर रहकर अकेले साधना करना हमें आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥à¤µà¤¿à¤¤ करने वाला था। शà¥à¤°à¥€ मà¥à¤¨à¤¿ जी ने हमें जलपान कराया। कà¥à¤› अनà¥à¤¯ विषयों की चरà¥à¤šà¤¾ कर हम वहां से लौट आये। अपने मितà¥à¤° शà¥à¤°à¥€ शà¥à¤•à¥à¤² जी को तपोवन से लगà¤à¤— 13 किमी. दूर उनके à¤à¤¾à¤ˆ के घर छोड़ा और वहां से अपने निवास पर लौट आये।
हमारे मन में आया कि इस वृतानà¥à¤¤ को अपने मितà¥à¤°à¥‹à¤‚ से साà¤à¤¾ करें, उसी का परिणाम यह लेख है। इससे वैदिक साधन आशà¥à¤°à¤® के उतà¥à¤¸à¤µ आदि का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ à¤à¤µà¤‚ अनà¥à¤¯ कà¥à¤› जानकारियों पाठकांे को मिलेंगी। जो बनà¥à¤§à¥ आशà¥à¤°à¤® के उतà¥à¤¸à¤µ में आना चाहें मंतà¥à¤°à¥€ जी को सूचना देकर आ सकते हैं।
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